Vando Giranaree Vando (Hindi)

Vando Giranaree Vando (Hindi)

वंदो गिरनारी वंदो…

वंदो तपधारी वंदो…. 

जिनशासन गगने सोहे, 

तप धर्मथी जे पडीबोहे,

 अवधूत संत, तपमां महंत, 

परिणतीनी धारा,

 वंदो गिरनारी वंदो…(१)

 

गुरु ईच्छाने आजीवन वहन करनारा,

 समर्पण गगनमां ऊंचुं गमन करनारा,

 रस पर विजय वरनारा, 

गुरु आणा हृदय धरनारा,

 निःस्पृहतामां रमनारा,

 छे अलगारी अणगारा… 

जिनशासन गगने सोहे, 

तप धर्मथी जे पडीबोहे, 

अवधूत संत, तपमां महंत, 

परिणतीनी धारा, वंदो गिरनारी वंदो..

. वंदो तपधारी वंदो…(२)

 

हिमांशुसूरिजीनां अंतर आशिष पामी,

 गुरु चंद्रशेखर जे शासन रागनां स्वामी, 

सूरिखर धर्मरक्षितनी, पामीने निर्मळ 

छाया, शत शतक आयंबिल धारा, 

साधे छे महा तपराया….

 जिनशासन गगने सोहे, 

तप धर्मथी जे पडीबोहे, 

अवधूत संत, तपमां महंत,

 परिणतीनी धारा, वंदो गिरनारी वंदो…

 वंदो तपधारी वंदो….(३)

 

तप अंतरमां धरनारा,

वंदो तपधारी वंदो… 

व्रत संयममां रमनारा,

वंदो व्रतधारी वंदो…

जिनशासननां शणगारा,

वंदो सूरिखरने वंदो…

 ए जोगी निरंजन न्यारा,

वंदो गिरनारी वंदो…. 

तप संग सदा रहेनारा,

वंदो तपधारी वंदो…

 गुरु आज्ञाने झीलनारा,

वंदो तपधारी वंदो… 

रैवतगिरिनां रखवाळा,

वंदो गिरनारी वंदो…

 आयंबिल अखंड करनारा,

तव तपनां जय जयकारा…(४)

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