आवो आवो आवो, आराधना करवा आवो…
आवो आवो आवो, उपधान करवा आवो…(१)
श्रावक जीवननी आराधनानो, अवसर
आव्यो, उपधाननी साधनानो महोत्सव,
मंडायो, आवो आवो आवो आवो,
आराधना करवा पधारो,आवो आवो
आवो आवो, उपधान करवा आवो,
उपधाननी साधनानो महोत्सव मंडायो…(२)
साधनाना पुष्पोनी वहे ज्यां सुवास,
आत्म गुणोनो मळे छे आवास,
मळशे मुजने ज्यां परमनो संगाथ,
आवो आवो आवो, आराधना करवा…
आवो आवो आवो, उपधान करवा….(३)
गुरुकुलवासनो मळे नित अहेसास,
संयमी गुरुवरनो सदा सहवास,
आतममां प्रगटे विरतिनो उल्लास,
आवो आवो आवो, आराधना करवा…
आवो आवो आवो, उपधान करवा…(४)
तप-त्याग ने जप छे नवकार,
अप्रमत्ततानी छे नित्य पहचान,
लक्ष्य बस एक ज मुक्ति वरमाळ,
आवो आवो आवो, आराधना करवा…
आवो आवो आवो, उपधान करवा….(५)
आवो आवो आवो, आराधना करवा…
आवो आवो आवो, उपधान करवा…(६)