पालनी पावन भूमि उपर,
आनंदनो उछळ्यो गुलाल,
गुरुवर मारा पधारियाने,
थई गई जाहोजलाल,
अमारूं पाल थयुं छे न्याल…
अमारूं पाल थयुं छे न्याल…
अमे थई गया मालंमाल…
अमारुं पाल थयुं छे न्याल…(१)
उठतां साथे विरतिधरनां,
दर्शन अमने थावे,
पगले-पगले प्यारा प्रभुनां,
स्पर्शन अमने थावे,
पालीतणाना लघुबंधु सम,
संघ अमारो पाल,
देव-गुरुनो वरसे वहाल,
अम हैया खुशखुशाल..अमारूं पाल..(२)
रोज-रोज गच्छाधिपति-सूरि भगवंतोना
थाये पगलां, साधु-
साध्वी गुरु भगवंतोना,
लाभथी पुण्यनां थाये ढगलां,
शासनना केसरिया तिलकथी,
शोभे अमारुं भाल,
वृद्धो युवानोने बाल,
शासनभक्ति बेमिशाल, रग-रगमां
शासन भक्तिनुं, रक बहे छे लाल,
शासन काजे केसरिया करवा,
तैयार आ बालगोपाल..अमारूं पाल..(३)
दीक्षा-प्रतिष्ठा-तपश्चर्याना,
उत्सव प्रतिदिन आवे,
चातुर्मासनी आराधनाना,
महामहोत्सव मंडावे,
प्रवचन-पूजा-प्रतिक्रमण ज्यां,
आराधनानो सुकाल,
कर्मराज थयो बेहाल,
मोहराज थयो पायमाल.अमारुं पाल.(४)
: धून :
उत्सवनो उछळे गुलाल…
लाल लाल थया छे गाल….
हृदयनो बस एक सवाल…
शी रीते थाय कमाल..?
भारा प्रभुजी दीनदयाल…
प्रभुकृपाथी थाय धमाल…
हैया छे जेहना विशाल…
एवो संघ अमारो पाल….
अमारूं पाल थयुं छे न्याल…
अमारुं पाल थयुं छे न्याल…
अमे थई गया मालंमाल…
अमारुं पाल थयुं छे न्याल…(५)