सर्व जीवोने अभयदाननो, छे नाद
अहीं घट-घटमां, संयम जीवन मुजमां
रमतुं, हुं रमतो संयममां….(१)
संयम शुं छे? वीरने पूछो,
वीर कहे के ‘जयणा’,
कोइ जीवोने त्रास म देशो,
गुरु फरमावे वयणा!
खावुं, पीवुं, जागवुं, बेसवुं,
छे जीव रक्षण वर्तनमां,
संयम जीवन मुजमां रमतुं,
हुं रमतो संयममां….(२)
देहाध्यासथी दूर भागे ए,
आतम लगनी लागी,
अर्हम ध्याने आतम रंगे,
वीर वचनना रागी, त्याग, वैराग्य,
ज्ञान पिपासा, सदा लीन नवपदमां,
संयम जीवन मुजमां रमतुं,
हुं रमतो संयममां …(३)
पंचाचारना पालक छे ए,
पंचमहाव्रत धारी, विनय समर्पण
अंगे रमतुं, विमल चित विहारी,
क्रोध ममत्व, मद ना सतावे,
सद्गुरुना उपवनमां, संयम जीवन
मुजमां रमतुं, हुं रमतो संयममा…(४)