प्यारा प्रभुने पामवा माटे,
चारित्र मंडपनी चॉरी करीश,
जेणे करी मुज दिलनी चोरी,
ए प्रियतमनी चोरी करीश,
जिनराज साथेनो लग्रोत्सव…
गुरुराज साथेनो लग्रोत्सव…(१)
स्वामीनाथनी सर्व-आज्ञानुं,
सोभाग-सिंदूर शिरे भरीश,
महाव्रतोतुं मंगल मंगळसूत्र,
सतत मुज हैये घरीश,
वरमाळा पहेरावीने,
प्यारा जिनवरने हुं मारा करीश,
ओछा करवा भवना फेरा,
फेरा धीरे-धीरे फरीश,
परथी छूटवानो छे उत्सव,
परमने लूंटवानो छे उत्सव,
जेणे करी मुज दिलनी चोरी,
ए प्रियतमनी चोरी करीश,
जिनराज साथेनो लग्रोत्सव…
गुरुराज साथेनो लग्रोत्सव…(२)
व्हालेसर साथे विवाह करीने,
वाह-वाह व्हालमनी मेळवीश,
मस्तक उपर हस्त मूकावी,
पाणिग्रहण प्रीतमथी करीश,
पवित्रता रुप प्रभुतामां,
पगलां पाडी प्रभुने पामीश,
ग्रंथिभेद करे एवी,
निग्रंथ तणी ग्रंथि बांधीश,
“मम मुंडावेह – मम पव्वावेह”,
एवां लग्रमंत्रोमां हुं मस्त बनीश,
संयमना शुभ साज सजीने,
प्राण प्यारा पियुने परणीश,
प्रीयतमने मळवानो छे उत्सव…
प्रीतममां भळवानो छे उत्सव…
जिनराज साथेनो लग्रोत्सव…
गुरुराज साथेनो लग्रोत्सव…(३)
… धून …
विश्व माटे जे छे ईश्वर,
ए जिनवर बनशे मारा वर…
जीवो माटे जे जगतपति,
ए पतिनी हुं बनीश सती…
चाहुं छुं हुं जे प्रीयतम,
एने ज चाहुं जन्मोजनम…
हैयाथी थाशे हस्तमेळाप,
अर्हम् साथे अनंत आलाप…(४)
अरिहंतनी हुं आर्या बनुं,
भगवंतनी हुं भार्या बनुं…
छेडा-छेडीना केवा छेडा,
क्यारेय न थाये छूटाछेडा…
जिनराज साथेनो लग्रोत्सव…
गुरुराज साथेनो लग्रोत्सव…(५)