विरती केरूं साचुं रे सपनुं,
विरती प्यारी मळी जाय रे साहिबा…(१)
मारी बेनी ए साज्यो, छे संयम साज,
मारी बेनी रे, चाली छे, गुरुकुलवास्…(२)
राजुल का मन मिलने को तरसे,
नेमि है तन-मन में, सारी
खुशियां सौंप दुरि, नेमि के चरणन में,
नेमि संग जो प्रीत बांधी, नीर
है अंखियन में, रजोहरणने हीरले
वधालो, मुक्ति केरा मोती रे साहिबा…
मारी बेनी ए साज्यो, छे संयम साज,
मारी बेनी रे, चाली छे, गुरुकुलवास्…(३)
विरतीनो रथ आंगणिये आव्यो एने,
बेनी ए वधाव्यो रे साहिबा, हे….
आव्यो रे आव्यो…मैया की लाडो,
बाबुल की गुडिया, यादो के सारे खझाने,
एक हि पल में छोड अंगना,
अखियान् को तुं भींजाये…(४)
प्रभु को चाहे संयम आशी, प्रभु ही
प्रभु मन में, केसरिया रे वस्रो रंगावो
एने, अक्षतथी वधावो रे साहिबा,
मारी बेनी ए साज्यो, छे संयम साज,
मारी बेनी रे, चाली छे, गुरुकुलवास्…
रजोहरणने हीरले वधावो, मुक्ति केरा
मोती रे साहिबा…(५)