*अविश्वसनीय दीक्षा सफर * तीन मुमुक्षुओं दिव्या बहिन (जबलपुर)श्री देवर्धिप्रभाश्रीजी ,पूजा बहिन (जालौर) पुष्टीप्रभाश्रीजी,तरूणा बहिन (आहोर)तुष्टीप्रभाश्रीजी की दीक्षा शत्रुंजय डैम मंदिर के निकट कल संपन्न हुई।दिव्या बेन की दीक्षा का सफर सबसे अनूठा और रोमांचक है। चार महीने पहले ही इनकी श्री गौतम भाई के साथ सगाई हुई थी। आप पू आ श्री उदयप्रभ सूरिजी के प्रशिष्य पू मुनिराज श्री युगप्रभ विजयजी की सांसारिक सगी बहन है। सगाई के पश्चात दिव्या बेन को पू आचार्य श्री की निश्रा में नवाणु यात्रा करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। नवाणु यात्रा के दौरान पू भाई महाराज श्री की सतत प्रेरणा से दिव्या बेन की धर्म भावना में एक प्रचंड भूचाल आया, और संसार से इनका मन विरक्त हो गया।
शादी की सारी तैयारियां हो चुकी थी। गहने, कपडे, पत्रिका, भवन की बुकिंग,आदि हो चुकी थी, विवाह दि 17.2.17 को होना था, मगर विवाहोत्सव दीक्षोत्सव में परिवर्तित हो गया । इन्होंने अपने मंगेतर से अपने संयम की बात छेड़ी, तो महान पुण्योदय से उन्होंने भी सहर्ष स्वीकृति दे दी। तत्पश्चात, दिव्या बेन के सासु-ससुरजी ने भी सहर्ष स्वीकृति दे दी, और इनकी दीक्षा में आज इनके मंगेतर अपने पूरे परिवार के साथ उपस्थित हुए। जिन शासन की बलिहारी है कि ऐसे आश्चर्यजनक प्रसंग आज भी देखने को मिलते हैं।
जिन शाशन के ऐसे ऐसे चमत्कार जब भी हम देखते है या सुनते हैं, तो हमारे रोंगटे खड़े हो जाते है, और करुणा का सागर हमारे दिल में हिलोरे लेने लगता है। धन्य जिन शासन यह है हमारे अणगार।दीक्षार्थी पूजा और तरुणा,दोनों मामा-भुआ की बहनें हैं,और उनकी दास्ताँ निराली है। दोनों ने साथ में उपधान तप की आराधना की थी, और तरुणा बेन की संयम भावना प्रबल बनी, मगर उसके परिजनों को संतोष नहीं था। अतः उन्होंने पूजा बेन से अनुरोध किया कि वो तरुणा बेन को समझाए कि संयम का पंथ अत्यन्त कठिन है, और वो शादी के लिए तैयार हो जाय। पूजा बेन उसे समझाने गयी, और अहो आश्चर्यम! तरुणा बेन ने उसे ही समझाकर अपने साथ दीक्षा के लिए राजी कर लिया।जिनशासन सदा जयवंता रहे।वैरागी ने वंदन…..दिक्षार्थी अमर रहो.