आयुर्वेद के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। यही कारण है कि इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य कहा गया है। इसके अलावा यह समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है। प्रमुख मंदिरों के पट भी ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाते हैं ।
ब्रह्ममुहूर्त के धार्मिक, व व्यावहारिक पहलुओं और लाभ को जानकर हर रोज इस शुभ घड़ी में जागना शुरू करें तो बेहतर नतीजे मिलेंगे।
आइये जाने ब्रह्ममुहूर्त का सही वक्त व खास फायदे –
धार्मिक महत्व – व्यावहारिक रूप से यह समय सुबह सूर्योदय से पहले चार या पांच बजे के बीच माना जाता है। किंतु शास्त्रों में साफ बताया गया है कि रात के आखिरी प्रहर का तीसरा हिस्सा या चार घड़ी तड़के ही ब्रह्ममुहूर्त होता है। मान्यता है कि इस वक्त जागकर इष्ट या भगवान की पूजा, ध्यान और पवित्र कर्म करना बहुत शुभ होता है। क्योंकि इस समय ज्ञान, विवेक, शांति, ताजगी, निरोग और सुंदर शरीर, सुख और ऊर्जा के रूप में ईश्वर कृपा बरसाते हैं। भगवान के स्मरण के बाद दही, घी, आईना, सफेद सरसों, बैल, फूलमाला के दर्शन भी इस काल में बहुत पुण्य देते हैं।
व्यावहारिक महत्व – व्यावहारिक रूप से अच्छी सेहत, ताजगी और ऊर्जा पाने के लिए ब्रह्ममुहूर्त बेहतर समय है। क्योंकि रात की नींद के बाद पिछले दिन की शारीरिक और मानसिक थकान उतर जाने पर दिमाग शांत और स्थिर रहता है। वातावरण और हवा भी स्वच्छ होती है। ऐसे में देव उपासना, ध्यान, योग, पूजा तन, मन और बुद्धि को पुष्ट करते हैं।
इस तरह शौक-मौज या आलस्य के कारण देर तक सोने के बजाय इस खास वक्त का फायदा उठाकर बेहतर सेहत, सुख, शांति और नतीजों को पा सकते हैं।