चातुर्मास पालन करने योग्य नियम
चातुर्मास के नियम अनेक होते है , आप जो नियम ले वो आपकी स्व्तंत्रता से ले . किसी की प्रेरणा से नियम ले ये अच्छा है . जबरदस्ती से नियम लेना या देना उचित नही है . नियम चार मास के लिये भी हो सकते है . नियम पर्युषण तक के भी हो सकते है . नियम बारह तिथि के लि…ये भी हो सकते है . नियम लेने से पहेले खुद की क्षमता और ईच्छा समज़ ले . नियम छोटा हो , थोडे समयका हो तो कोई हरकत नही है . नियम तूटे नही यह ही बडी बात होगी . पांच आचार के विभाग से हम नियम देखेंगे .जो नियम ठीक लगे उसका संकल्प करे .
ज्ञान-आचार के नियम :-
१ व्याख्यान-श्रवण
२ धार्मिक सद्-वांचन
३ ग्रंथकी पूजा
४ सूत्र को कंठस्थ करना
५ सरस्वती का जाप
६ नमो नाणस्स – पद का जाप
७ ज़ूठे मुख से, बोलन -पढना – लिखना बन्ध .
८ नवकार-लेखन
९ नवकार का जाप
१० पांच ज्ञान का स्वरूप सीखने का संकल्प
दर्शन-आचार के नियम :-
१ प्रभु-दर्शन करना
२ प्रभु-पूजा करना
३ प्रभु-आरती मे उपस्थिति
४ प्रभु समक्ष भक्तामर-पाठ
५ प्रभुकी अंगरचना
६ प्रभुकी सन्ध्या-भक्ति
७ प्रभुके नाम की माला
८ प्रभु की सेवा के कार्य
९ गुरुवन्दन
१० गुरुभक्ति
११ गुरुवचन का श्रवण एवं पालन
चारित्र-आचार के नियम :-
१ सामायिक करना
२ प्रतिक्रमण करना
३ पौषध करना
४ बारिश मे बाहर न नीकलना
५ दिन मे एक बार ही स्नान
६ वाहन का त्याग
७ चप्पल का त्याग
८ गद्दी-पलंग छोडकर संथारे पर सोना
९ ब्रह्मचर्य का पालन
१० टीवी-विडियो-थियेटर-रेडियो का त्याग
११ अश्लील साहित्य-दृश्य का त्याग
तप-आचार के नियम :-
१ नवकारसी- पोरिसि आदि का पालन
२ चोविहार- तिविहार आदि का पालन
३ पर्युषण के पूर्व एक तपस्या की आराधना
४ लीलोतरी का त्याग
५ मीठाई का त्याग
६ फ्रूट का त्याग
७ एकासणा-बियासणा-आंबेल आदि यथासंभव
८ मासक्षमण-अट्ठाई-अट्ठम आदि यथासंभव
९ तपस्वी की भक्ति
वीर्याचार के नियम :-
१ सामूहिक अनुष्ठान मे जुडना
२ संघ की प्रवृत्ति मे जुडना
३ आर्थिक सहयोग देना .
४ नियमित धर्मपालन करना