*15 लाख करोड़ का खजाना मिला जैन मंदिर से*
BHOPAL:मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के रन्नौद में 800 साल पुराने जैन मंदिर में खुदाई के दौरान मुगल कालीन खजाना मिला है।
बताया जा रहा है कि मंदिर की 14 इंच मोटी दीवार को तोड़ने पर मिट्टी के कई घड़ों में बंद हीरे मिले हैं। कुछ घड़ों में सोना भी है।
जो 15 मजदूर यहां खुदाई कर रहे थे उन्होंने इसे आपस में बांट लिया। लेकिन आपसी लड़ाई से मामला पुलिस तक पहुंच गया। पुलिस ने जब खजाने की कीमत का पता लगाया तो वो भी हिल गई। पूरा खजाना 15 लाख करोड़ का है। ये खजाना कब का है और मंदिर में कहां से आया यह अब तक रहस्य बना हुआ है।
एडीशनल एसपी कमल मौर्य को जब घटना की जानकारी मिली तो वे घटना स्थल पर मुआयना करने गए जहां जांच के दौरान सोने और चांदी के सिक्कों पर अंकित उर्दू की इबारत और चित्र मिले। स्थानीय जानकार ने बताया कि इस पर शहंशाह अहमद लिखा है। जब इंटरनेट के जरिए इसकी प्रमाणिकता जांची गई तो पता चला कि शहंशाह अहमद का शासन 14वीं शताब्दी के आसपास था।
इतिहासकारों का कहना है कि शेरशाह सूरी ने कभी दक्षिण भारत की यात्रा के लिए रन्नौद से रास्ता निकाला था।-किताब ‘आईने अकबरी’ में भी जिले के कोलारस, नरवर और रन्नौद का जिक्र है। इससे पता चलता है कि यह क्षेत्र उस समय कितने संपन्न थे।
मुगल बादशाहों का पड़ाव रह चुका है रन्नौद…
जिले से तकरीबन 60 किमी दूर कोलारस में बसा रन्नौद ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा है। इतिहासकार अरुण अपेक्षित के अनुसार मोहम्मद गोरी, अलाउद्दीन खिलजी, बाबर, औरंगजेब जैसे अनेक मुगल बादशाहों की सेनाओं ने दक्षिण की विजय यात्राओं को करते हुए यहां पड़ाव डाला था।
इसीलिए रन्नौद का जिक्र कोलाारस-नरवर केे साथ आईने अकबरी पुस्तक में है।मुगल शासकों ने रन्नौद की जागीर जब पिंडारी भाइयों को सौंपी थी। तो यहां के जागीरदार जैन बनाए गए।
200 साल तक यह जागीर जैनियों के नियंत्रण में रही, उनके वंशज आज भी रन्नौद में रहते हैं। रन्नौद में अनेक प्राचीन मंदिर, मठ, मस्जिदें और दरगाह हैं जो अपनी प्राचीनता की कहानी खुद बयां करती