जिस भव में अरिंत परमात्मा ने तीर्थंकर नाम कर्म का उपार्जन किया उस भव के दिक्षा गुरु का नाम है
1 | प्रभु आदिनाथ | तीर्थंकर वज्रसेन |
2 | प्रभु अजितनाथ | आचार्य अरिदमन |
3 | प्रभु संभवनाथ | आचार्य संभ्रात |
4 | प्रभु अभिनंदन | आचार्य विमलवाहन |
5 | प्रभु सुमतिनाथ | सीमंधर |
6 | प्रभु पद्मप्रभस्वामी | आचार्य पिहिताश्रव |
7 | प्रभु सुपार्श्वनाथ | आचार्य अरिदमन |
8 | प्रभु चन्द्रप्रभस्वामी | मुनि युगंधर |
9 | प्रभु सुविधिनाथ | सर्वजगदानंद |
10 | प्रभु शीतलनाथ | आचार्य स्रस्ताध |
11 | प्रभु श्रेयांसनाथ | मुनि वज्रदत्त |
12 | प्रभु वासुपूज्यस्वामी | आचार्य वज्रनाभ |
13 | प्रभु विमलनाथ | सर्वगुप्त |
14 | प्रभु अनंतनाथ | मुनि चित्ररथ |
15 | प्रभु धर्मनाथ | स्थविर विमलवाहन |
16 | प्रभु शांतिनाथ | राजर्षि धनरथ |
17 | प्रभु कुंथुनाथ | आचार्य संवर |
18 | प्रभु अरनाथ | मुनि संवर |
19 | प्रभु मल्लिनाथ | आचार्य अतियश |
20 | प्रभु मुनिस्रुव्रतस्वामी | मुनि सुनंद |
21 | प्रभु नमिनाथ | मुनि नंद |
22 | प्रभु नेमिनाथ | आचार्य अतियश |
23 | प्रभु पार्श्वनाथ | आचार्य दामोदर |
24 | प्रभु महावीरस्वामी | आचार्य पोट्टिल |