Categories : Jain Mantra, JAINISM Mantra For Personalized Defect Prevention | व्यन्तरकृत दोष का निवारण मंत्र मंत्र : मन्ये वरं हरि-हरादय एव दृष्टा, दृष्टेषु येषु हृदयं त्वयि तोषमेति । किं वीक्षितेन भवता भुवि येन नान्यः, कश्चिन्मनो हरति नाथ भवांतरेपि ॥ मंत्र संख्या : प्रतिदिन 1 माला परिणाम : व्यन्तरकृत दोष का निवारण होता है। Related Articles Mantra For Abdominal Therapy | उदर चिकित्सा मंत्र Mantra For Healing | आरोग्य मंत्र Mantra For Universal Victory | सर्वत्र विजय मंत्र Mantra For Victory Supplier | विजय प्रदायक मंत्र Mantra For Dread Deterrent | भय निवारक मंत्र