सुबह उठने की विधि | Subah Uthane ki Vidhi
सुबह उठने की मंगलकारी विधि क्या है, आपको बालमा
सोते समय सात, उठते समय आठ, सवेरे उठते समय आंखे बंध
करके अंजलिबद्ध प्रणाम (दोनों हाथ के अंगूठे आमने-सामने रखकर
दांये हाथ की अंगुलियां ऊपर रहे वैसे दोनों हाथ की अंगुलियाँ साथ
में करना) साथ में आठ कर्म को दूर करने आठ नवकार गिनना ।अंजलि
को खोलकर सिद्धशिला और उस पर बिराजमान २४ तीर्थंकर परमात्मा
के दर्शन करने पुरुष पहले दांया हाथ और बहनें बांया हाथ देखे.
चौबीस भाग में क्रमसर तीर्थ और तीर्थंकर परमात्मा के आनन्दभेर
दर्शन करके पावन होना, एक एक नवकार भी गिन सकते हैं।
स्वर श्वास देखकर, जो स्वर चलता हो वह पांव बिस्तर से नीचे
रखना उसके बाद नीचे मुजब वर्तमान भाव तीर्थंकर स्वरुप श्री सीमंधर
स्वामी के पास में प्रार्थना करना । (यंहा पूर्व पेजु की विधि करनी)
रात के खराब स्वप्न के दोष के पाप निवारण की भी
विधि है, वह आपको मालूम है ?
सामायिक प्रतिक्रमण नहीं हो सके तो कम से कम रात में आया
हुआ खराब स्वप्नादि दोषों के निवारण के लिये कुसुमिण दुसुमिण
उड्डावणी राइअ पायच्छित विसोहणत्थं काउस्सग्ग करुं? इच्छं कुसुमिण
दुसुमिण उड्डावणी राइअ पायच्छित्त विसोहणत्थं करेमि काउसग्गं अन्नत्थ
कह कर ४ लोगस्स । ब्रह्मचर्य नाशक स्वप्न आया हो तो सागर वर
गंभीरा तक (नहीं तो चंदेसु निर्मला तक) अथवा १६ नवकार का
काउस्सग्ग पारकर एक लोगस्स ।
फिर हाथ जोड़कर सात लाख और पहले प्राणातिपात बोलना