परमात्माथी रंगाशे मारो आत्मा,
परमात्मा बनी जाशे मारो आत्मा…
थाशे प्रभुनुं मिलन वातवातमां, परमात्मा बनी जाशे मारो आत्मा…
आतमने परमातमनो जे संग जड्यो छे राज…
हरख हरख मन हरख हरखमां झूमी रह्युं छे आज….
मारूं हृदय प्रभु, तारूं मंदिर छे, तूं हृदय वसे ए, मारी तकदीर छे,
केवा शुभ परिणामो जागे आ मुलाकातमां, परमात्मा बनी जाशे मारो आत्मा…
तारा अंजननी, केवी शुभ पळ हशे, तारा प्राण थकी, मूर्ति जीवंत थशे,
“राज प्रिय” बनी जाशे तूं एकज रातमां, परमात्मा बनी जाशे मारो आत्मा…
Rachna: Shramani Bhagwant (Raj-Priyaa)