जय जय हो गिरिराजनो,
जय जय हो आदिनाथनो…
जय जय हो गिरनारनो,
जय जय हो नेमिनाथनो… (१)
प्रभुना पगले गुरुना डगले,
आतम आजे नाचे रे,
साजन माजन संगे मळीने,
शुभ भावोमां राचे रे,
भवोभवना पातिक दूरे करवा,
उछळता हैये जईए….
सहु छ’रिपालंता जईए,
सहु संघोत्सवमां जईए….
गुरुराजना संगे जईए,
सहु संघोत्सवमां जईए… (२)
जेना कण-कणमां गुंजी रह्यो,
प्रभु नेमनो संयम नाद,
ए गिरनारनी पगथारे जईने,
सुणवो छे प्रभुनो साद,
पेला सहसावननी शेरीओ,
मने आवे पल-पल याद,
हवे जल्दी जावुं नेमनी पासे,
करवाने मीठो संवाद,
पुण्य पालन रैवतगिरिनी,
यात्रा करवाने जईए,
सहु छ’रिपालंता जईए,
सहु संघोत्सवमां जईए….
गुरुराजना संगे जईए,
सहु संघोत्सवमां जईए…. (३)
ज्यां सिद्धो अनंता वसीया रे,
ए सिद्धाचल मुज प्राण,
ने भव्यत्वनी भेट अपावे,
ए विमलाचल मुज त्राण,
ज्यां मरुदेवीना लाल बिराजे,
लईने सात श्वास,
ए प्यारा प्रभुवर ऋषभजी,
मुज आतमनो विश्वास,
आदिने हैये “अंकित” करी,
अनादि मोक्षे जईए,
सहु छ’रिपालंता जईए,
सहु संघोत्सवमां जईए….
गुरुराजना संगे जईए,
सहु संघोत्सवमां जईए….. (४)
कनकभुवन गुरू आशिषे,
छ’रिपालंता जईए…
रत्न-राज गुरु कृपा ए,
छ’रिपालंता जईए…
राजशेखरसूरि निश्रामां,
छ’रिपालंता जईए….
रत्नाकर सूरिवरना संगमां,
छ’रिपालंता जईए…
मुत्ता परिवारना सुयोगथी,
छ’रिपालंता जईए…..
सौ नेमि आदि संघोत्सवमां,
छ’रिपालंता जईए… (५)