मति ज्ञान
समकित श्रध्धावंतने उपन्यो ज्ञान प्रकाश प्रणमुं
पदकज तेहना भाव धरी उल्लास
श्रुत ज्ञान
पवयण श्रुत सिद्धांत ते आगम समय वखाण पूजो
बहुविध रागथी, चरण कमल चित आण
अवधि ज्ञान
उपन्यो अवधिज्ञान नो, गुण जेहने अविकार वंदना
तेहने मारी, श्वासे मांहे सो वार
मनःपर्यव ज्ञान
ए गुण जेहने उपन्यो, सर्वविरति गुणठाण प्रणमुं
हितथी तेहना, चरण करण चित्त आण
केवळ ज्ञान
दंसण नाणनो, चिदानंद धनतेज ज्ञानपंचमी दिन पूजिये,
विजयलक्ष्मी शुभ हेज