आ तीर्थो बोलावे छे, आ हैयुं डोलावे छे,
जगाडी मांहालो मारो,
द्वार आतमनां खोलावे छे..(१)
तीर्थयात्रा महिमाथी,
तन-मनमां उल्लास जागे,
सुख शांति समृद्धि आवे,
दुःख संकट दूर भागे,
शुभ कर्मोमां जोडी तीर्थो,
अशुभना बंधन तोडावे छे,
आ तीर्थो बोलावे छे…(२)
भवजलथी तारे ते तीर्थनो,
महिमा होय छे भारी,
भक्तजनोने पापनी,
प्रवृत्तिथी ले छे उगारी,
भक्ति, मैत्री, शुद्धि ने शौर्यनां,
कार्योंमां जोडावे छे,
आ तीर्थो बोलावे छे….(३)
आवा तीर्थनी शुद्धि सुरक्षा,
मारी एक फरज छे,
सहूद्धि ने शक्ति आपो,
प्रभुने एक अरज छे,
वंदे शासनम् तीर्थनी भक्तिनो नाद,
जगतमां गुंजावे छे,
आ तीर्थो बोलावे छे…(४)