आज सारी ये धरा को सजाएंगे,
आज उत्सव अनोखा मनाएंगे,
आज खुशियों के दीप जलाएंगे,
धन्य-धन्य हो जाए,
कैसे आनंद मनाए,
गुरु आएंगे…
मेरे भाग खुल जाए,
मेरे पाप धुल जाए,
गुरु आएंगे…(१)
भांडवपुर की भाग्य भूभि पर,
भक्ति की बहार है छाई,
अखिल विश्व की सकल गुरु भक्ति,
एक भूमि पर छलकाई,
भक्तो के भीतर भावो से,
भरी-भरी भक्ति है छाई..(२)
समर्पणम् से भगवन् को ध्याएंगे,
ये भवो के चक्कर कट जाएंगे,
गुरु चरणों का ध्यान लगाएंगे,
आज दसों ये दिशाएं,
जयकार लगाए,
गुरु आएंगे…
जय जय गुरुदेव,
का नाद जगाए,
गुरु आएंगे…
धन्य-धन्य हो जाए,
कैसे आनंद मनाए,
गुरु आएंगे…
मेरे भाग खुल जाए,
मेरे पाप धुल जाए,
गुरु आएंगे…(३)
पावन गुरु चरणों में,
अपना शीश झुकाएंगे,
गुरुवर की ये गुणगाथा,
अंतरमन से गाएंगे,
उपकार गुरुवर के,
हम कैसे चुकाएंगे,
शब्दो में नहीं संभव,
हम भावो से जताएंगे….(४)
बरसो के सपने अधूरे,
अब होंगे साकार,
भव्य अनुपम तीर्थधाम,
पाएगा आकार,
मंगल हित शांति करता,
है करता भवपार,
अति बंका महावीर प्रभु का,
नित्य करे जयकार…
मेरे गुरु की कृपा बरसती,
सब पर अनराधार,
एक नहीं दोनो हाथों से,
करते कृपा अपार..(५)
मेरी श्रद्धा के केंद्र,
मेरे गुरु राजेंद्र,
अब आयेंगे….
मेरी आस्था अनंत,
मेरे गुरु श्री जयंत,
खुद आयेंगे…
आज दसों ये दिशाएं,
जयकार लगाए,
गुरु आएंगे…
जय जय गुरुदेव,
का नाद जगाए,
गुरु आएंगे…(६)