आजनो दिवस मने लागे बहु खारो,
खरी पड्यो एक शासन सितारो,
तुम विना थयो हुं आजे नोंधारो,
क्यां छो गुरूवर करोने ईशारो…(१)
कलाप्रभ सूरीश्वर मारा,
तुम विना सुना छे मुनिवर तारा,
भवसागरमां, तमे सहारा,
डुबती नैयानां तमे छो किनारा….(२)
स्मित भरेलुं मुखडुं तमारू,
जोईने जातुं दुःख अमारूं,
तारा जेवो थईश क्यारे, एज विचारूं,
ऋण तमारूं कदी न विसारू…(३)
गुरूना हृदयमां पाम्या तमे स्थान,
जेथी बन्या छो खूब महान,
कच्छ-वागडनी, तमे छो शान,
राखजो गुरूवर अमारूं ध्यान….(४)
तित्थयर समा आप सूरिवर,
हुं बनुं गौतमने तमे वीर प्रभुवर,
कल्पतरूसूरि काजे, तमे तरूवर,
हंस विना लागे सुनुं सरोवर…(५)
तप ने तेजथी शोभे तारूं भाल,
आप्यो छे अमने खूब वहाल,
पूछवा आवोने, अमारा हाल,
सिद्धशीला सुधी राखजो संभाळ…..(६)