आणी मन शुभ आस्था, देव जुहारु खास आ,
क्षत्रियकुंडना नायक धुर, वीरजी आयो आप हजुर…(१)
अणियाळी तारी आंखडी, जाणे कमळनी पांखडी,
मुख दीठे दुःख जाये दूर, वीरजी आयो आप हजुर…(२)
कोमल करनी आंगळी, जाणे कमळनी पांदडी,
मुखडुं सोहे रूप मधुर, वीरजी आयो आप हजुर…(३)
ज्योतिर्मय तुं जीवतो देव, सुर नर जनता करती सेव,
तुज दीठे उलटे सुखपूर, वीरजी आयो आप हजुर…(४)
कोईनुं मन क्यांही भमे, मारा मनमां तुज रमे,
नित निरखूं तुज उगते सूर, वीरजी आयो आप हजुर…(५)
वीरजी मारा नाथ.. वीरजी व्हाला नाथ..
वीरजी सुखदातार.. वीरजी मारा तारणहार…(६)
तुज भक्ति जे हृदय धरे, कारज तेना सकळ सरे,
नाथ निरंजन महिमा भूर, वीरजी आयो आप हजुर…(७)
नहीं विछडशो व्हाला नाथ, मैं तो पकड्यो तारो हाथ,
चरणे राखो मुजने हजुर, वीरजी आयो आप हजुर…(८)
भवोभव मांगुं तुम पद सेव, क्षत्रियकुंडना व्हाला देव,
“नय” गावे तुज गुण भरपूर, वीरजी आयो आप हजुर…(९)