आंखो मारी मुजने कहे छे, दर्शन तारा ज्यारे करे छे,
मारा दादा तारा रूप उपर, हुं वारी जाउं,
तारी मूर्ति जोईने हुं, खोवाई जाउं,
आंखो अंजाई जाय… मनडुं मोहाई जाय,
तारा होठोनुं स्मित जोईने, हैयुं हरखाई जाय,
हो हो हो… हैयुं हरखाई जाय..
मारा दादा तारा…(१)
मुखडुं जाणे चांद पूनम, होठ जाणे पद्म कोमल,
आंखो लागे छे अनुपम, जोई मोहह्यं मारुं मन,
तारी बांहो जो पसारे, एमां हुं समाई जाउं,
तुं बोलावे मने… मारी वातो सूणे,
एवा मीठा सपना जोईने, हैयुं हरखाई जाय,
हो हो हो… हैयुं हरखाई जाय..
मारा दादा तारा…(२)
अंतरना मारा भावो, अंतरमां आप समावो,
अंतर ना हवे राखो, आंतरशुद्धि करी आपो,
अंतरिक्षमां छे अनंता, अंतरमां बस अंतरिक्ष हो.
तारूं नाम जपुं… तारूं नाम रटुं,
अंतरिक्ष नाम लेता-लेता, शुद्ध आतम बनी जाउं,
हो हो हो… शुद्ध आतम बनी जाउं..
मारा दादा तारा…(३)
तारा मस्तके वहेती धारा, अंगलूछणा फूलो प्यारा,
जोई हरखुं पण विचारूं, कमनसीबो केवा मारा !
तुजने स्पर्शी तो शकु हुं, पण समर्पित ना थई जाउं,
तारी पासे रहुं… तारुं संयम ग्रहुं,
तारी भक्ति करता-करता, तारा जेवो बनी जाउं,
हो हो हो… तारा जेवो बनी जाउं..
मारा दादा तारा…(४)