Aatam Tat Kyoo Janoo (Hindi)

Aatam Tat Kyoo Janoo (Hindi)

आतम तत क्यू जाणू जगतगुरु, एह विचार मुझ कहिये।

आतम तत जाप्या विण निरमल, चित समाधि नवि लहिये ॥ मुनिसुव्रत… ॥१॥

कोई अबंध आतम तत मान, किरिया करतो दीसै।

क्रिया तणो फल कोण भोगवै, इम पूछयां चित रीसे ॥

मुनिसुव्रत… ॥२॥
जड़ चेतन ए आतम एकज, थावर जंगम सरिखो।

सुख दुख संकर दुध ण आवै, चित विचार जो परिखो ॥

मुनिसुव्रत… ॥३॥

एक कहै नित्यज आतम तत, आतम दरसण लीनो।

कृत विनास अकृतागम दूषण, नवि देखै अति हीनो ॥

मुनिसुव्रत… ॥४॥

सुगत मत रागी कहै वादी, क्षणिक ए आतम जाणो ।

बंध मोख सुख दुख नवि घटै, एह विचार मन जागो ॥

मुनिसुव्रत… ॥५॥

भूत चतुष्क बरजी, आतम तत, सत्ता अलगी न घटै।

अन्ध सकट जो नजर न देखै, तो स्यू कीजै सकटै ॥

मुनिसुव्रत… ॥६॥
इम अनेक वादी मत विभ्रम, संकट पडियो न लहै ।

चित समाधि ते माटे पूछौं, तुम बिण तत कोण कहै ॥

मुनिसुव्रत… ॥७॥

बलतूं जगगुरु इण परि भाखै, पक्षपात सहु छंडी।

राग-द्वष मोहे पख वरजित, आतम सू रढ मंडी। मुनिसुव्रत… ॥८॥

 

आतम ध्यान करे जो कोऊ, सो फिर इण में नावै।

वागजाल बोजौ सहु जाणे, एह तत्व चित चावै ॥ मुनिसुव्रत…॥९॥

जे विवेक धरि ए पख ग्रहियो, ते ततज्ञानी कहिये ।

श्री मुनिसुव्रत कृपा करो तो, ‘आनन्दघन’ पद लहियै ॥

मुनिसुव्रत… ॥१०॥

Related Articles

Jeetbuzz

Jeetwin