आवो रे आवो, मारा गुरूवर आवो,
जिनागमरत्न प्यारा, गुरूवर आवो,
उरना बारणिये तोरण बंधावो,
जिनागमरत्न व्हाला, गुरूवर आवो….(१)
हरखाई गया रे, सहु हरखाई गया,
सुणी चातुर्मास नाद, सहु हरखाई गया,
शुभ मंगळना गान, सहु आज गावे,
गुरु गुणो तणुं, पान करे एक भावे,
आशिष दई, शरणे लई, आतम अंजावो,
गुरूवर आवो, गारा गुरूवर आवो…
जिनागमरत्न प्यारा, गुरूवर आवो…(२)
गुरु केरा स्मितमां, खोवाई रे गया,
व्याख्यान सुणी, पाप मुज धोवाई रे गया,
उपधान-सिद्धि-धर्मचक्र तप करावे,
धरी समता, क्रिया करता, प्रभुत्व जगावे,
आशिष दई, शरणे लई, आतम अंजावो,
गुरूवर आवो, मारा गुरूवर आवो…
जिनागमरत्न व्हाला, गुरूवर आवो…(३)
ज्ञानायतन थकी क्रुणाल बनी,
लावे यौवनमां परिवर्तन जी,
मोज-शोख केरा जीवनमां,
अध्यात्म तणु दर्शन जी,
कर्मने तोडी धर्मथी जोडी,
मानवतानुं करे सर्जन जी,
नित्य धरूं जयंतनो जय,
एवा भावे रमे छे जिनागम जी…(४)
आतम जेनो शीतल चंदन,
रूप दिवाकरना सम जी,
शणगारा अणगारोना छो,
भरतनुं तीरथ जंगम जी,
शास्रो तणुं जे ज्ञान धरे,
जाणे चालतुं फरतुं आगम जी,
नित्य धरूं जयंतनो जय,
एवा भावे रमे छे जिनागम जी….(५)
राज धन भूप यतिन्द्र विद्या,
जयंत गुरुना समागम जी,
वरसादनो वर्षिल स्वभाव छे भारी,
शरमावे जेने गुरु वयण जी,
शासन वैभव प्रगटावे तुम जीवन,
आशिष प्रदायी दर्शन जी,
नित्य धरूं जयंतनो जय,
एवा भावे रमे छे जिनागम जी…
रे प्यारा मारा गुरु छे जिनागम जी…
रे एवा भावे रमे छे जिनागम जी…(६)