आया परव पर्यूषणजी
आतम शुद्धि का मेला है,
दर्शन पूजन जिन वंदन कर,
संयम धर शुभ बेला है,
आया परव पर्यूषण जी…(१)
क्षमा धरम सिखलाता कोई,
जीव बड़ा न छोटा है,
मान भगा गति ऊँची बांधे,
मारदव अलबेला है।।
आया परव पर्यूषण जी …..(२)
कपट नहीं करना जीवन में,
धरम आरजव बतलावे,
सम्यक्त्व को प्राप्त करो,
जो सत्य धरम का खेला है।।
आया परव पर्यूषण जी ….(३)
लोभ पाप का महा बाप महा बाप है,
शौच धरम आगाह करे,
पुष्प खिला जीवन में,
ये ही धन अनमोला है ।।
आया परव पर्यूषण जी …..(४)
उत्तम तप कर करम खपाओ,
कारण मुक्ति धाम है,
त्याग भाव उपजाओ मन में,
सन्तोषामृत रेला है ।।
आया परव पर्यूषण जी …..(५)
मर्यादा से अधिक इकट्ठा,
ना कर आकिंचन कहता,
“शील” धरम दस धारण करके
तोड़ो गति झमेला है …..(६)