अभिनंदन स्वामी हमारा, प्रभु भव दुःख भंजणहारा;
ये दुनिया दुःख की धारा, प्रभु ईनसे करो निस्तारा अभिनंदन.. (१)
हूं कुमति कुटिल भरमायो, दुरित करी दुःख पायो;
अब शरण लीयो हे थारो, मुजे भवजल पार उतारो अभिनंदन.. (२)
प्रभु शीख हैये नवि धरी, दुर्गतिमां दुःख लीयो भारी;
ईन कर्मो की गति न्यारी, करे बेर बेर खुवारी अभिनंदन.. (३)
तुमे करूणावंत कहावो, जगतारक बिरूद धरावो;
मेरी अरजीनो एक दावो, ईण दुःखसे क्युं न छुडावो अभिनंदन.. (४)
में जनम गुमायो, नहीं तन धन स्नेह निवार्या;
अब पारस परसंग पामी, नहीं वीरविजयकुं खामी अभिनंदन.. (५)