अज्ञान के अंधकार में, एक ऐसा उजाला,
जहाँ खिलता हो, जिनशासन का भावी
निराला,भूले भटकों को, राह दिखाती
ज्ञान शाला,यहाँ होते सर्जन,
महावीर और चंदनबाला…(१)
ना कोई यहाँ अकेला, आया उत्सव
अलबेला, अब चलो चले जहाँ लगता
हो, कल्याण मित्रों का मेला, हम चले
सब चले पाठशाला, हम चले सब
चले पाठशाला… ज्ञान की मशाल ये
ज्ञानशाला, हम चले सब चले पाठशाला….(२)
आ पाठशाला शुं छे?
यहाँ क्या करते है?
पाठशाला अच्छा सुनो..!!
तत्वोनी ए तत्वशाळा,
संस्कारोनी सिंचनशाळा,
मळे छे ज्यां मित्रों ने व्हाला,
एवी अमारी पाठशाळा…(३)
करते हम सूत्रों की गाथा,
सुनते हम वीरों की गाथा,
भावी पेढ़ी की निर्माणशाला,
ऐसी हमारी पाठशाला…(४)
सूत्र अर्थ गाथा स्वाध्याय, करते है हम,
महापुरुषों की वीर कथाये, सुनते है हम,
वज्रस्वामी के वंशज हम, गुणवान बनेंगे,
श्रद्धा दीप जलाकर, समकितवान बनेंगे..(५)
देव गुरु धर्म से, मिलन होता
जहाँ पर, सदाचार सगुण सुहवास,
महके यहाँ पर, ज्ञानी, तपस्वी, साधक,
सब मिलते यहाँ पर, हम भी
आगे बढ़ते उनका निमित पा कर..(६)
विनय का पाठ, शास्त्रों की बात,
चले दिन ये रात, या हो प्रभात,
बच्चे बुजुर्ग या नौजवान, अब एक
ही नाद और एक ही बात,
हम चले पाठशाला साथ साथ,
सब चले पाठशाला साथ साथ,
चलो चले पाठशाला साथ साथ…(७)
ना कोई यहाँ अकेला, आया उत्सव
अलबेला, अब चलो चले जहाँ लगता
हो, कल्याण मित्रों का मेला,
हम चले सब चले पाठशाला,
हम चले सब चले पाठशाला….
ज्ञान की मशाल ये ज्ञानशाला,
हम चले सब चले पाठशाला….(८)