अम सौने आस्था छे
दादा तारी उपर!
अम सौने आशा पण छे
दादा तारी उपर!
तुं अमारो रखवालो,
तुं अमोने तारनारो,
तारा पर फिदा छे हर कोई प्रभु!
करुणाने करनारो,
दुःखडाने हरनारो,
सिद्धाचलनो शणगार छे…
युगादिदेवा.. युगादिदेवा…
युगादिदेवा.. युगादिदेवा…(१)
तुजने जोई लागे जाणे,
सौंदर्यनो दरबार भरायो,
लावण्यनी छोळो उछळे,
पहेली नजरमां तुं मनभायो,
तुं चमकतो सितारो,
तुं सोहामणो नजारो,
कोई उपमा न तारी प्रभु,
आकर्षण करनारो,
मनडाने लूंटनारो,
तारो रूपाळो देदार छे…
युगादिदेवा.. युगादिदेवा..
युगादिदेवा…युगादिदेवा….(२)
देवेन्द्रो तारा चरणे पड़े छे,
रिद्धि खुशी तारा स्मरणे मळे छे,
तने नजरोमां केद करे जे,
सुख-समृद्धि तेने जडे छे,
पापीओने तुं सुधारे,
तुं पतितोने उगारे,
कष्टोने तुं निवारे प्रभु,
कर्मोंने पीडनारो,
अवगुणने हरनारो,
स्नेहभीनो तुं किरतार छे…
युगादिदेवा.. युगादिदेवा…
युगादिदेवा…युगादिदेवा…(३)
वैरागी थई संयम स्वीकार्युं,
आराधनाथी जीवतर शणगार्युं,
दर्भावतीना बन्ने रत्नोए,
शासनना गौरवने वधार्युं,
धर्मनी वसंत लावे,
दिव्यताने प्रगटावे,
भव रोगने मिठावे प्रभु,
मंगळने करनारो,
विघ्नोने चूरनारो,
दयानी तुं जलधार छे…
युगादिदेवा.. युगादिदेवा..
युगादिदेवा.. युगादिदेवा…(४)
द्रव्य नहीं भावनाथी सर्जायुं,
माटे सौना मुखथी गवायुं,
राजरत्नसूरिजीनी प्रेरणाने पामी,
तीर्थ फोर-एम परिवारे रचाव्युं,
सूर्यना किरण रेलावे,
तुं “प्रशम” ने खिलखिलावे,
सामर्थ्य छे गजबनुं प्रभु!
तुं सेवकनो प्यारो,
अंतरमां वसनारो,
मरुदेवानो मल्हार छे…
युगादिदेवा.. युगादिदेवा..
युगादिदेवा.. युगादिदेवा…(५)