अंतरनी अयोध्यानो राम छे,
मननी मथुरानो श्याम छे दादा आदेश्वर नो दरबार छे,
शत्रुंजयनो शणगार छे… (१)
मारा जीवननी तुं तो आंख छे,
तारा विना जीवन राख छे दादा आदेश्वर नो दरबार छे,
शत्रुंजयनो शणगार छे… (२)
मूर्ति तारी अलबेली छे, तुं तो बेली छे दादा आदेश्वर नो दरबार छे,
शत्रुंजयनो शणगार छे… (3)
आंखो तारी कामणगारी छे,
तारा पर दुनिया वारी छे दादा आदेश्वर नो दरबार छे,
शत्रुंजयनो शणगार छे… (४)
करुणा तारा हैये अपार छे,
तुजथी सहुनो बेडो पार छे दादा आदेश्वर नो दरबार छे,
शत्रुंजयनो शणगार छे… (४)