बेर बेर नहि आवे, अवसर बेर बेर नहि आवे…
जयुं जाणे त्युं करले भलाई,
जनम जनम सुख पावे… अवसर… (१)
तन धन जोबन सबही जूठो,
प्राण पलक में जावे… अवसर… (२)
तन छूटे धन कौन काम को,
काहेकुं कृपण कहावे… (३)
जाके दिल में साच बसत हे,
ताकुं जूठ न भावे… अवसर… (४)
‘आनंदघन’ प्रभु चलत पंथ में,
समर समर गुण गावे… अवसर… (५)