Bhave Shatrunjagiri Jao (Hindi)

Bhave Shatrunjagiri Jao (Hindi)

भावे शेत्रुंजागिरि जाओ,

जिणंदा आदिश्वर अलबेला, 

आदिश्वर अलबेला ने

जगना तारणहार…(१)

 

केसर चंदन लईने सिधावो,

फूल गुलाब केरी माळा…

 जिणंदा आदिश्वर अलबेला…(२)

 

एक एक पगले पावन थाजो,

मनमां नवकार तणी माळा…

जिणंदा आदिश्वर अलबेला…(३)

 

मनमां मेलोनुं स्नान करीने,

मुक्ति मारगडे सिधावो… 

जिणंदा आदिश्वर अलबेला…(४)

 

पग उघाडा अने अंतर उघाडां,

पावन रजना स्पर्शे…

 जिणंदा आदिश्वर अलबेला…(५)

 

संपूर्ण शुद्धिने ना कोई अशुद्धि,

अंतर दिपावो रढियाळा…

जिणंदा आदिश्वर अलबेला…(६)

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