भवोभवना मारा पुण्य फळ्या त्यारे,
आ शुभ भाव प्रगटयो,
संयमनाद आजे वागे रोम-रोममां,
नवतर जीवन मळ्यो,
प्रभु आणाने गुरु शरण ग्रहुं,
आत्मानंदमां मस्त हुं बनुं,
प्रभुवर वचनम्, गुरुवर शरणम्,
एना आधारे बनुं जिनेश्वरम्…(१)
करुणानीर प्रभु महावीर,
आवुं बनी तारी चंदनबाळा,
तुज शासननी पाटे चालवा,
प्रगटावने तुं प्रेमनी ज्वाळा,
त्यजी शणगार, बनुं अणगार,
वीरनो वेश मुज देहे धरूं,
तुज वचनमां, गुरु शरणमां,
जीवन आ समर्पण करूं,
वीर तारा साथनी करूं झंखना,
प्रभुवर वचनम्, गुरुवर शरणम्,
एना आधारे बनुं जिनेश्वरम्…(२)
गुरुनी कृपा दृष्टि, थई आजे वृष्ठि,
करवा उद्धार आतम तणो,
उज्ज्वल ए वेश धारण करीने,
कर्मों पर हुं राज करूं,
विरती दान लई, अभयदान दई,
जीवोने हुं शाता दउं,
अध्यात्मनी साची समजण लई,
निजानंदमां हरपळ रहुं,
मौन साधनानी करूं झंखना,
प्रभुवर वचनम्, गुरुवर शरणम्,
एना आधारे बनुं जिनेश्वरम्…(३)