दादाना शिखरों पर धर्म ध्वजा फरके,
करता एना दर्शन सहुना हैया हरखें…(१)
एनी अनुपम छाया कामनगारी छे,
शोभा आ धर्म ध्वजानी मनहरनारी छे,
दादाना शिखरों पर धर्म ध्वजा फरके,
करता एना दर्शन सहुना हैया हरखें,
ध्वजा…छे केवी भजानी…(२)
हो राजनगरनी धन्यधरा ए धन्यक्षनो छे,
प्रभु आगमन मोहोत्सवनो आनंद घणो छे,
ऊंचे-ऊंचे जेग आ ध्वजा फरके छे,
ऐना प्रतापे श्री संघ ए मंगल वरते छे…(३)
शुभता ने खुशियो ऐनी बलिहारी छे,
जयंत कृपा ऐ साधनामां वृधिकारी छे,
दादाना शिखरों पर धर्म ध्वजा फरके,
करता एना दर्शन सहुना हैया हरखें,
ध्वजा…छे केवी मजानी…(४)
ऐनी अनुपम छाया कामनगारी छे,
शोभा आ धर्म ध्वजानी मनहरनारी छे…(५)