देहनी सघळी ममता त्यागी,
आतमजी मुज जागे,
आदिश्वरनी आंगी थावा,
अंग-अंग मुज नाचे,
मोक्षनी एक ज आश हृदयमां,
रजोहरण ए मांगे,
मोक्षनी एक ज आश हृदयमां,
रजोहरण ए चाहे…(१)
गुरुवर रजोहरण मने देजो,
रजोहरण मने देजो…
प्रभुवर प्रीत तमारी देजो,
मुजने रीत तमारी देजो…(२)
नाम प्रभुनुं मंगलसूत्र,
आज्ञा सिंदूर थाजो,
वेश प्रभुनो घरचोळुं ने,
समता ठीको थाजो,
प्रभुप्रीत पायलनी रणझण,
क्रिया कंगन धारूं,
महाव्रतोनी महेंदी मूकतां,
जीवतर बन्युं तमारूं…(३)
गुरुवर रजोहरण मने देजो,
रजोहरण मने दजो…
प्रभुवर प्रीत तमारी देजो,
मुजने रीत तमारी देजो… (४)
तुज भक्तिनी मोजने लूंटता,
निजानंदने माणुं,
तुज शक्ति पर अविचल श्रद्धा,
मोह विष उतारूं,
सर्वजीवोमां सिद्ध निहाळुं,
आंखे अंजन करजो,
तन बुद्धिने दिलडा साथे,
आतम तुजने वरजो…(५)
गुरुवर रजोहरण मने देजो,
रजोहरण मने दजो…
प्रभुवर प्रीत तमारी देजो,
मुजने रीत तमारी देजो…(६)