धन्ना शालिभद्रना पंथे आनंदे
संचरशे वैरागी वीर
आनंदघन जेवी अवधू आराधना
आदरशे वैरागी वीर
हो भाव धरी वंदो आ वैरागी वीर. १
अंदरना दरियामां डूबकीओ लेवाने
नीकळ्या छे वैरागी वीर
सृष्टिना जीवोने अभयदान देवाने
नीकळ्या छे वैरागी वीर
हो भाव धरी बंदो आ वैरागी वीर. २
ओघो लई हाथमां खूब खूब उल्लासे
नाचशे आ वैरागी वीर
रंगराग छोडीने तप अने त्यागमां
राचशे आ वैरागी वीर
हो भाव धरी वंदो आ वैरागी वीर. 3
ना सोनुं ना चांदी ना हीरा ना मोती
चाहे छे वैरागी वीर
जे राहे तीर्थंकरो सर्व चाल्या
ए राहे छे वैरागी वीर
हो भाव धरी वंदो आ वैरागी वीर. ४
आज्ञा अरिहंतनी शुद्ध दशा सिद्धनी
समरे छे वैरागी वीर
आचार्य उपाध्याय साधु गुण साधना
मन धरे छे वैरागी वीर
हो भाव धरी वंदो आ वैरागी वीर. ५
माता पिता भाई बहेनने अलविदा
कहेशे आ वैरागी वीर
सद् गुरूनां चरणोमां बेसीने “देवर्धि”
लहेशे आ वैरागी वीर
हो भाव धरी वंदो आ वैरागी वीर. ६.