धरवा अभिनंदन तमने,
झूमी छे वनराई रे,
सोनेरी सुरजकिरणो,
संयमनो रंग लाई रे,
शरणारई गुंजी ने,
सृष्टि आखी हरखाई रे,
हो..लईने प्रभुजीनुं शरण,
पंथ प्रभुनो आदरे,
तारा संयमनो छे दिन… आज रे…
हे वंदो.. वैरागी तारा वेशने,
वंदन करे छे आभरे,
तारा संयमनो छे दिन… आज रे…
जोने मस्तक झुकावी नमे,
देवदेवीनो दरबार रे
हो..जाशे तुं जगने त्यजी,
गावे तारो जयकार रे,
फूलोथी कोमल ताहरी,
काया,कष्ठटो थकी रे ना डरे,
तारा संयमनो छे दिन…
आज रे… धरवा…(१)
तुजथी डर्यो छे,
मोहमल्लरायो,
संयम समरांगणमां,
संख रे बजायो,
छायो रे छायो,
आनंद छायो,
मोहना विजयनो,
अवसर आयो,हो..
रंगाई विरती रंगमां,
ओढीलो संयम साज रे,
शमणुं विश्वना हितनुं आतमा (वीरला),
हवे साकार करजो आज रे,
‘जय’ जय नादो सहु करे,
तारो पंथ सुकोमल रहे,
तारा संयमनो छे दिन…
आज रे… हो.. लईने…(२)