ढोल नगारा त्रांसा वागे,
वागे पखावज आज,
आजे हळवे आवी रह्यो छे,
धैर्य-आर्योत्सव द्वार,
आवी आ…आवी आ…
वैरागनी घडी आवी आ..
जागी आ.. जागी आ…
वैरागनी प्रीत जागी आ..(१)
तन-मन-समर्पण करे छे ए वीरने चरणे,
ए आतमाने होजो मारा भावथी नमन,
वैराग्यमां हुं झुमु जरा,
वैराग्यमां रंगावुं जरा,
वैराग्य मारा रोमे-रोमे वरसे सदा….(२)
मुश्किल भर्या संयम पंथे, करशे प्रयाण रे,
धरशे सतत दिन-रात,
ए आतमनुं ध्यान रे,
संयम लई दीपावशे,
शासननी शान रे,
पल-पल व्रतो आराधशे,
आपीने प्राण रे,
ए साधना मळे मने तो,
थाय धन्य आतमा,
ने आ हृदय करे छे,
हरपळ एक प्रार्थना,
वैराग्यमां हुं झुमु जरा,
वैराग्यमां रंगावुं जरा,
वैराग्य मारा रोमे-रोमे वरसे सदा… (३)
हैये सतत रहेशे हवे,
संयमनो वास रे,
जिन आण तो थाशे हवे,
जीवननो श्वास रे,
गुणनी हशे हर एक पळ,
अढळक प्यास रे,
कीर्ति वरे आतमा, एक ज आश रे,
दिव्य जीवन मळे मने,
तो थाय धन्य आतमा,
ने आ हृदय करे छे, हरपल एक झंखना,
वैराग्यमां हुं झुमु जरा,
वैराग्यमां रंगावुं जरा,
वैराग्य मारा रोमे-रोमे वरसे सदा… (४)