Dusham Aa Sansarma (Hindi)

Dusham Aa Sansarma (Hindi)

दुषम आ संसारमां, ज्ञानी समागम ना मळे, 

तीर्थंकरो के केवळींनो, विरह अहींया सांपडे, 

शासनना शिरताज बनी, शोभी रह्या अभ आंगणे,

 वंदन करूं वंदन करूं, हेमप्रभ सूरि गुरु राजने… [१]

 

जे नामथी ने काजथी, ने सर्वगुणोथी हेम छे, 

लीला लहेर तुज नामथी, जीह्ना ए तुं सदैव छे,

 जीवो अनंता अभय पाम्या, पामी परम तुज प्रेमने, 

वंदन करूं वंदन करूं, हेमप्रभ सूरि गुरु राजने… [२]

 

कुलचंद नरसिंह स्वामीना, ने माँ लक्ष्मीना लाल छो,

 हैद्राबादनी जन्मधरा ने, ब्रह्मनिष्ठ सरल छो, 

वीरवंश वारसदार बनी, गुरु गौतम पेरे गुणवंत छो, 

वंदन करूं वंदन करूं, हेमप्रभ सूरि गुरु राजने…. [3]

 

समकित रत्न सांपड्युं, जगवल्लभ पार्श्वप्रभु थकी, 

संयमतणो अभिलाष जेनो, सूरि भुवन-रत्न वचन थकी,

रजोहरणने जे पामता, गुरु प्रभवचंद्रसूरि थकी, 

वंदन करूं वंदन करूं, हेमप्रभ सूरि गुरु राजने… [४]

 

बन्या संयमी राजनगरे, कीका भट्टनी पोलमां, 

पादलिप्तपुरे गणिपद ने, पंन्यास थया राजनगरमां, 

तित्थयर समो सूरि बन्या, मुंबापुरी वालकेश्वरे, 

 वंदन करूं वंदन करूं, हेमप्रभ सूरि गुरु राजने… [५]

 

 स्वाध्याय गमे अध्यात्मना, महाजाप गमे सूरिमंत्रना, 

दादा गमे अजाहरा, अठ्ठम गमे अभिग्रहना, 

सेवा गमे भक्ति गमे, कार्यों गमे गुरुदेवना, 

वंदन करूं वंदन करूं, हेमप्रभ सूरि गुरु राजने… [६]

 

सूरि केसरनी संयम ध्वजा, जिनशासने फरकावता, 

चंद्रप्रभव कृपा थकी, चोमेर जय यश पामता,

 गिरिविहारनी ख्याती ने, देश-विदेश फेलावता, 

वंदन करूं वंदन करूं, हेमप्रभ सूरि गुरु राजने… [७]

 

अंजनशलाका ने प्रतिष्ठा, उपधान उद्यापन वळी, 

नव्वाणुं छ’रि पालित संघने, दीक्षा पदप्रदान वळी,

 शासन काजे ज्ञानी-ध्यानी, करी शिष्यगणनी संपदा,

वंदन करूं वंदन करूं, हेमप्रभ सूरि गुरु राजने…. [८]

 

महाविदेहना स्वामी तणी, स्तवना करी लोढा धाममां, 

चैत्रवदी नवमी दिने, कयुँ गमन विदेहमां, 

झूरी रह्यो आ सकळ संघ, हवे दर्शन क्यारे आपशो, 

झटिति अर्हम पदे जई, पुनित अमने बनावजो,

वंदन करूं वंदन करूं, हेमप्रभ सूरि गुरु राजने… [९]

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