गिरिराज के शिखर पर,
मेरे आदिनाथ बिराजे,
है मंद-मंद मुस्काते,
मरुदेवी नंदन छाजे,
छठ्ठ करने हम आएं,
शक्ति हम तुझसे पाएं,
जो हाथ पकड़ के मेरा,
यात्रा पूरी कराएं,
ऋषभ धुन लागी रे,
लगनी लागी प्रभु से…(१)
श्रद्धा भावों से भरकर,
तेरी यात्रा करने आएं,
तेरे चरणों में रखने,
अपना हृदय हम लाएं,
स्वीकार करो प्रभुवर,
हम शरण में तेरी आएं,
माफी दो सारे पापों की,
तेरे आगे शीष झुकाएं,
मुझे भव से पार लगाओ,
मेरी यात्रा सफल बनाओ,
भक्तों की विनती सुन लो मेरे स्वामी…
ऋषभ धुन लागी रे,
लगनी लागी प्रभु से….(२)
हम दौड़े-दौड़े आते,
हर बार तेरे घर दादा,
क्यों मेरे घर नहीं आतें,
यह बात बता दे दादा,
क्या खामी है। मुझ मैं,
इतना तो बता दे दादा,
आएगा आज हृदय में मेरे,
कर दे इतना वादा,
इंतजार मुझे है तेरा,
तूं ही है साथी मेरा,
मणि-नेमि का ना कोई तुमसा सानी…
ऋषभ धुन लागी रे,
लगनी लागी प्रभु से…(३)
ऋषभ धुन लागी…
ऋषभ धुन लागी…
सात यात्रा करने की,
भावना है मुझमें जागी…(४)