Giranar vasee Mukti Vilasee (Hindi)

Giranar vasee Mukti Vilasee (Hindi)

गिरनारवासी, मुक्ति विलासी,

 हुं चाहुं, तारो प्रेम…

 ओ नेम… ओ नेम…

 हूं तो संभाळु, तुं जो विसारे, (1)

 नभशे आ प्रीति केम…

 ओ नेम… ओ नेम…

 पशु ना पोकारो, हृदय मां धारो, (2)

 मुज वेला आवुं केम…

ओ नेम… ओ नेम…

राजुल नारी, करुणा थी तारी, (3)

 मूज पर करशो ने रहेम…

 ओ नेम… ओ नेम…

टाळो ने विभावो, आपो नीज भावो, (4)

 बने आतम साचो हेम…

 ओ नेम… ओ नेम…

ओ रखवैया, प्यारी मुज मैया, (5)

करजो मुज योगक्षेम…

 ओ नेम… ओ नेम…

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