गुरु एवा, मने मळ्या,
मारा हृदयना, स्वप्नो फळ्या,
भवोभवनां, कर्मो टळ्या,
रजोहरण मने मळ्या…. (१)
संसारी हुं तो, विषयोंमां रमतो,
क्रिकेट ने पब्जीनो, फैन हुं,
गुरु जो मळ्या, मने जीवनमां,
वैराग्य पंथे, निक ळ्यो छु हुं,
प्रभुनो पंथ साचो छे,
के मैं तो जान्युं छे,
रजोहरण एकज छे,
के मैं तो एज मान्युं छे,
गुरु एवा, मने मळ्या,
मारा हृदयना, स्वप्नो फळ्या,
भवोभवनां, कर्मो टळ्या,
रजोहरण मने मळ्या… (२)
मारुं तो जीवन व्यर्थ हतुं,
संसारनां विषयोंमां, तमे जो आव्या,
ने सिखाव्या, कही नथी आ कषायोंमां,
तमे मळ्या प्रभु मने,
के हुं तो धन्य थयो,
रजोहरण मळ्युं मने,
के हुं तो तरी गयो,
गुरु एवा, मने मळ्या,
मारा हृदयना, स्वप्नो फळ्या,
भवोभवनां, कर्मो टळ्या,
रजोहरण मने मळ्या…. (३)