गुरु तेरे चरणों में, सत्-सत् नमन।
कृपा दृष्टि आपकी मिले हरदम ॥१॥
जब से मैं दुनियाँ में आया झमेला-झमेला।
गुरु महिमा सुना तो, दौड़ा चला आया ॥
काँटे भरी डगर है, खिला दे सुमन ॥२॥
तुम्हें पाकर प्रभु जी, कहाँ अब मैं जाऊँ।
अपने दिल की व्यथा को, किसे मैं सुनाऊँ ॥
महाकाल के अवतार, मिटा दे पीड़न ॥३॥
शान्ति शीतल मिलते है, गुरुदेव के नाम में।
लगन आपका लगाया तो, बैठा मिला पास में ॥
बस हाथ थाम लें, सफल हो जीवन ॥४॥