गुरुवर त्यागी छे,
अंतरमां जागी आशा,
थई त्यागनी अभिलाषा…
मारा राग, द्वेष, दोष,
सघळा मंद थई गया,
गुरुवर त्यागी छे.. गुरुवर त्यागी छे…
गुरुवर त्यागी छे, अंतरगां जागी आशा,
थई त्यागनी अभिलाषा…(१)
पंथ न्यारो छे, थई संयमनी हुं रागी,
मारा वीरनी अनुरागी,
बनी त्यागी हुं चालु पंथे,
भड-भड बाळु रे, कर्मोना हुं बंधन,
लई महाव्रतोनुं ईंधण,
प्रगटे आंतर दशा, जाशे मोहनी दशा,
मारा राग, द्वेष, दोष,
सघळा मंद थई गया,
गुरुवर त्यागी छे.. गुरुवर त्यागी छे…
गुरुवर त्यागी छे, अंतरमां जागी आशा,
थई त्यागनी अभिलाषा…(२)