हे नेमिनाथ दादा, गिरनार गिरि राजा,
बनी हुं नेमी रागी, बनवाने वीतरागी,
चाहुं छुं तारो साथ, नाथ,
मारा नेम नेम, मारो प्रेम प्रेम,
तने मळवा आवुं गिरनार…(१)
दीक्षा ने केवल भूमि, सहसावने सोहे,
मोक्षभूमि पंचम टूंके, मारूं मांडु मोहे,
तुजने कहु शुं स्वामी, तुं मारो अंतर्यामी,
थवाने मोक्षगामी, आपोने शिवपद स्वामी,
चाहुं छुं तारो साथ, नाथ,
मारा नेम नेम, मारो प्रेम प्रेम,
तने मळवा आवुं गिरनार…(२)
अमावसे माँ अंबिका, प्रदक्षिणा तारी करे,
अभिषेक तारा जोई, कर्मों मारा खारे,
हे शिवदेवी नंदन, टाळ मुज भवोभ्रमण,
हे नेमिनाथ निरंजन, करो मुज जीवन अंजन,
चाहुं छुं तारो साथ, नाथ,
मारा नेम नेम, मारो प्रेम प्रेम,
तने मळवा आवं गिरनार…(३)
गिरनार गिरी शिरताज, हे नेमिनाथ महाराज,
रहनेमि उगारी, राजीमति ते तारी,
चाहुं छुं तारो साथ, नाथ,
मारा नेम नेम, मारो प्रेम प्रेम,
तने मळवा आवुं गिरनार…(४)