Hele Chadaya Re (Hindi)

Hele Chadaya Re (Hindi)

हेले चड्यां रे… हैयां हेले चड्यां रे हैयां हेले चड्यां रे.. 

हो हेले चड्यां रे हैयां हेले चड्यां…

 

गगने लहेराती प्रभुवीरनी पताका, ऋजुवालिका तीर्थमां अंजनशलाका, 

आनंदना सागरिया हेले चड्या, हेले चड्यां रे… ॥१॥

 

जन्म कल्याणक उजववाने आवी, छप्पन दिककुमरी निज सामग्री लावी, 

कोकिलना कंठ एने कंठे वर्या, हेले चड्यां रे… ॥२॥

 

उत्तम योगे जनम्या वीर प्रभुजी, जगने उद्धारनार ज्ञानी ए विभुजी, 

दरिशन दीठे काज सघला सयाॅं, हेले चड्यां रे… ॥3॥

 

अधोलोकथी अष्ट आवी पाय लागती, सूतिकर्म काज घर ईशाने स्थापती,

 टाळे अशुचि हैयां हरखे भयाॅं, हेले चड्यां रे… ॥४॥

 

आवी ऊर्ध्व लोकनी आठ कुमारी, छांटे सुगंधी जळ भूमिशुद्धि कारी 

करतां निज कर्म नयणां नेहे भयाॅं, हेले चड्यां रे… ॥५॥

 

पूर्व रूचकनी अष्ट कुमरी ए आवे, जोवा जिणंद मुख दर्पण ए लावे,

 नजरे निहाळी नाथ नयणा ठर्या, हेले चड्यां रे… ॥६॥

 

दक्षिण रूचकनी आठ कुमरीओ आवती, पंचामृते स्नान प्रभुने करावती,

 नाना’शा कळशे क्षीर सागरो भर्या, हेले चड्यां रे… ॥७॥

 

वायुनां वींझणां पश्चिमथी आवता, आठे दिक्कुमारीना करने शोभावता, 

शीतळ वायुए अंग शीतळ कर्या, हेले चड्यां रे… ॥८॥

 

उत्तरनी अष्ट अष्ट चामर लई आवती, पाये नुपूर साद झीणा झणकावती, 

सुस्वर संगीत गीत कंठथी सर्या, हेले चड्यां रे… ॥९॥

 

धरती दीपक आवी विदिशीनी कुमरी, त्रिशलाना नंदने नमती लळी लळी,

 जुग जुग जीवो मुख फूलडां खर्या, हेले चड्यां रे… ॥१०॥

 

रूचक द्वीपनी चार कुमरी आवती, केळ तणां घर त्रण रम्य ए बनावती,

 जिननां मर्दन स्नान एणे कर्या, हेले चड्यां रे… ॥११॥

 

रक्षानी पोटली बांधीने बोले, जीवो जिनराज नथी कोई तुज तोले, 

भक्ति ने भाव दीसे हैये भर्या, हेले चडयां रे… ॥१२॥

 

बहु चिरंजीवो माता त्रिशलाना जाया, धन्य आ जीवन आ अवसरिया आव्या,

विजय मुक्तिप्रभ सूरि निश्रा वर्या, हेले चड्यां रे… ॥१३॥

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