ह्रदय कमल में ध्यान धरत हूं, शिरतुज आण वहुं… जिन तेरे..
तुम सम खोळ्यो देव खलक में, पेख्यो नहीं कबहुं… जिन तेरे…
तेरे गुण की जपुं जपमाला, अहो निश पाप दहुं… जिन तेरे…
मेरे मन की तुम सब जानो, क्या मुख बहोत कहुं… तेरे…
कहे जस विजय करो त्युं साहिब, जयुं भव दुःख न लहुं… जिन तेरे..