इतिहास ना सुवर्ण पृष्ठे विविध प्रसंग रंग रेलाया,
अवसर्पिणी कालमहीं केई छ’रि पालित संघ सुहाया
शेत्रुंजे आदिनाथ बिराजे गिरनारे नेमिनाथ बिराजे
शत्रुंजय गिरनार यात्रा ऐ चालो आनंद उमंग मन धरी चालो
छ’रि पालित यात्रा ऐ चालो दादाने भेटवा संगे चालो
प्रभु आज्ञा शिर धरी चालो गुरु वाणी मन धरी चालो
जय जय श्री आदिनाथ… जय जय श्री नेमिनाथ.. (१)
अनंता आत्मा सिद्धि वर्या शत्रुंजय गिरी तुं पावनकार
तारी कृपा थी पापी पण तरे शत्रुंजय गिरी तुं तारणहार
शाश्वत सुख नी भेट तुं आपे शत्रुंजय गिरी तुं सिद्धश्रीकार
पूनमे तारो महिमा अपार शत्रुंजय गिरी तुं आनंद अपार
जय जय श्री आदिनाथ… जय जय श्री आदिनाथ.. (२)
अनंता तीर्थकरो सिद्धि वर्या गिरनार गिरी तुं शाश्वत भूमि
भक्तो तणी तुं साधक भूमि गिरनार गिरी तुं तारक भूमि
दीक्षा केवल निर्वाण ज्यां शोभे गिरनार गिरी तुं कल्याणक भूमि
अमासे तारो महिमा गवाय गिरनार गिरी तुं वैराग्य भूमि
जय जय श्री नेमिनाथ… जय जय श्री नेमिनाथ.. (३)
अवसर्पिणी ने चोथे आरे छ’रिपालि भरत चक्री पधारे
रत्नाशा श्रावक आनंद उल्लासे काश्मीरथी श्री संघे पधारे
बप्पभट्टसूरि गुरु आज्ञा ऐ आवे आमराजा ऐ तीरथ गुण गावे
चन्द्रशेखर गुरुमैया अम सौ पर आशिष वरसावे
जय जय श्री नेमिनाथ… जय जय श्री नेमिनाथ.. (४)