Jagu Chhu Na Suvu Chhu (Hindi)

Jagu Chhu Na Suvu Chhu (Hindi)

जागुं छुं ना सुवुं छुं, 

चित्तने तारामां पीरोवुं छुं,

 मार्गदाता, हे करुणा-माता, 

तारो बनीने रहूं, जग विसराई,

 उंघमां पण, जपुं हुं नाम तारूं, 

शोधतो रहुं तने, अहं विसराई,

 धर्म-माता, आपजे सुख-शाता, 

नित्य भजुं तने, प्रीत-सगाई, 

सन्मुख बनी, अंतर्मुख बनी,

 समाधिरसे भर्युं, स्वरूप पाई, 

खालीपा वाळुं हतुं जीवन, 

पळे-पळे रह्यो हुं तरस्यो, 

मनमंदीरमां रहे छे तुं सदा, 

एवो मुक्ति-मेघ बनी तुं वरस्यो, 

कोई भक्तिनी प्रभाते, 

तारी चींथेली वाठे, 

खेंचाती जाउं, प्रेमे रंगाई….

मार्गदाता… मार्गदाता….(१)

 

हे! वितराग प्रभु, निरखीने तने, 

प्रेमरसमां रह्यो, हुं भींजाई, 

अस्तित्वनुं, हवे सरनामुं मळ्युं,

 ए मार्गे जवुं समर्पणे बंधाई, 

हर्षे-भरी लीथी तारी सम्यक-वाणी,

 केटली नवी उमंगे, मनडु भराई, 

कोई भक्तिनी प्रभाते, तारी चींधेली वाटे,

 खेंचाती जाउं, प्रेमे रंगाई,

 खालीपा वाळुं हतुं जीवन, 

पळे-पळे रह्यो हुं तस्र्यो, 

मनमंदीरमां रहे छे तुं सदा,

 एवो मुक्ति-मेघ बनी तुं वरस्यो,

 मार्गदाता, हे करुणा-माता, 

तारी बनीने रहुं, जग विसराई,

 सन्मुख बनी, अंतर्मुख बनी,

 समाधिरसे भर्युं , स्वरूप पाई… 

मार्गदर्शकः, तव शरणं गच्छामि, 

संसारः विस्मरितुम्, करुणा-माई,

 सम्मुखमभवम्, अंतर्मुखः अभवम्, 

समाधिरसः भरितः, स्वरूपम् पाई,

मार्गदाता… मार्गदाता…(२)

 

परम-तत्त्वनुं पामीने परिणाम,

 स्व-कर्तृत्वने आपीने पूर्णविराम,

वितरागनां मार्गमां थई ठरीठाम,

 रहेवा माटे सदाय अस्तित्वने धाम…(३)

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