जय जय जय जय विरतिधर्मनो,
हो जो, जय कार रे…
रजोहरण उत्सव आव्यो,
करीए संयम स्वीकार रे,
यशोविजयजी गुरु संगे,
करीए नैया पार रे…(१)
वायरो विषम वरसी वसंत,
प्रभु प्रीते करीए अनंतनो
अंत हो…हो..
समर्पण साचुं करवुं,
छोडी सौ परिवार रे,
यशोविजयजी गुरु संगे,
करीए नैया पार रे,
जय जय जय जय विरतिधर्मनो,
हो जो, जय कार रे…
रजोहरण उत्सव आव्यो….(२)
न कोई पाप ने कोई निमित,
स्वाध्याय संगे सिद्धि
सुखनी प्रीत हो…हो..
भींनु भींनु अंतर पाळे,
जे शुद्ध आचार रे,
यशोविजयजी गुरु संगे,
करीए नैया पार रे,
जय जय जय जय विरतिधर्मनो,
हो जो, जय कार रे…
रजोहरण उत्सव आल्यो…..(३)
झाकळ बुंद संसार असार,
चिन्मय सुखदाता गुरूजी
आधार हो…हो…
जन्म जरा मृत्युथी,
उगारे आत्मोद्धार रे,
यशोविजयजी गुरु संगे,
करीए नैया पार रे,
जय जय जय जय विरतिधर्मनो,
हो जो, जय कार रे…
रजोहरण उत्सव आव्यो….(४)
आनंद अंगे अंगे व्यापशे,
मळशे रजोहरण संताप
समावेश हो…हो…
मंत्र जिनागम धरशुं अमे,
अने थाशुं भवपार रे,
यशोविजयजी गुरु संगे,
करीए नैया पार रे,
जय जय जय जय विरतिधर्मनो,
हो जो, जय कार रे…
रजोहरण उत्सव आव्यो….(५)