जय जय जीरावलाजी…
पारस ही पारस है,
घर-घर में घट-घट में,
कण-कण में पारस का नाम,
पारस ही धरती है,
पारस ही अंबर है,
पारस ही सुबह और शाम,
पारस नाम जो गाए,
पुण्य ऊंचा कमाए,
पारस नाथ की महिमा,
सुर असुर सब गाए,
वंदो पारसनाथ,
हे जय जय जीरावलाजी…. (१)
मंत्र सब से बडा पार्श्वनाथ,
यंत्र सब से बडा पार्श्वनाथ,
नाम सब से बड़ा पार्श्वनाथ,
धाम सब से बडा पार्श्वनाथ,
साप लंछन है कितना महान,
करे पद्मावतीजी गुण गान,
धरे धरणेन्द्र तेरा ही ध्यान,
तेरे कैसे करूं मैं बखान,
तेरे दर पे जो आए,
तेरी महिमा जो गाए,
धन्य वो बन जाए,
सुख सौभाग्य पाए,
वंदो पारसनाथ,
हे जय जय जीरावलाजी…. (२)
(गणपति बाप्पा)
जग जय वंत जीरावला
(गली)
मंगलकारी पापनिवारी,
संकटहारी पारसनाथ….
काने कुंडल मस्तके मुकुट,
फणा धारी पारसनाथ….
(त्वमेव)
विशाल मूर्तिश्च विशाल चैत्यं
विशाल तीर्थं च विशाल पुण्यम् ।
विशाल शक्तिश्च विशाल कीर्तिः विशालतां पार्श्व जिनो ददातु ॥
(कायेन वाचा)
वाराणसी नायक पार्श्वनाथं
समेत शैलेश्वर पार्श्वनाथम् ।
नमामि तीर्थेश्वर पार्श्वनाथं
नमामि शंखेश्वर पार्श्वनाथम् ॥(३)
(अच्युतम्)
नाथ तुम साथ तुम,
दो मुझे हाथ तुम,
आतमा को करो,
शुद्ध और बुद्ध तुम ।
पासजी तुम सदा,
मेरा विश्वास हो,
अब जिता दो मुझे,
कर्म का युद्ध तुम ॥(४)
(हरे राम)
पार्श्वनाथ पार्श्वनाथ…