Jena Rom Romathi Tyag Ane Saiyamnee (Hindi)

Jena Rom Romathi Tyag Ane Saiyamnee (Hindi)

जेना रोमरोमथी त्याग अने संयमनी विलसे धारा,

आ छे अणगार अमारा…

 दुनियामां जेनी जोड जडे ना एवं जीवन जीवनारा, …

आ छे अणगार… 1

 सामग्री सुखनी लाख हती, स्वेच्छाए जेणे त्यागी,

 संगाथ स्वजननो छोड़ीने, संयमनी भिक्षा मांगी,

 दीक्षानी साथे पंचमहाव्रत, अंतरमां धरनारा, …

आ छे अणगार…2

 ना पंखो वींझे गरमीमां, ना ठंडीमां कदी तापे,

 ना काचा जळनो स्पर्श करे, ना लीलोतरीने चांपे,

 नानामां नाना जीवोर्नु पण, संरक्षण करनारा, …

आ छे अणगार…3

झूठ बोलीने प्रिय थवानो, विचार पण ना लावे,

 या मौन रहे या सत्य कहे, परिणाम गमे ते आवे,

जाते न ले कोई चीज कदी, जो आपो तो लेनारा ! …

आ छे अणगार… 4

 ना संग करे कदी नारीनो, ना अंगोपांग निहाळे,

 जो जरुर पड़े तो वात करे, पण नयनो नीचां ढाळे,

 मनथी वाणी थी कायाथी, व्रतनुं पालन करनारा, …

आ छे अणगार…5

ना संग्रह एने कपड़ांनो, ना बीजा दिवसनु खाणुं,

 ना पैसा एनी झोळीमां, ना एना नामे थाणुं,

 ओछामां ओछा साधनमां, संतोष धरी रहेनारा, …

आ छे अणगार…6

 ना छत्रधरे कदी तड़कामां, ना फरे कदी वाहनमां,

 मारग हो चाहे कांटाळो, पहेरे ना काई पगमां,

 हाथेथी सघळा वाळ चूंटे, माथे मुंडन करनारा, …

आ छे अणगार… 7

कल्याण जीवोनुं करवा काजे, विचरे देश विदेशे,

ना रायरंक के ऊंचनीच, सरखा सौने उपदेशे,

 अपमान करो या सन्मानो, समताभावे रहेनारा, …

आ छे अणगार…8

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